PCOD and PCOS में अंतर और आयुर्वेदिक इलाज। इनके लक्षण, कारण और प्रभावी आयुर्वेदिक इलाज के बारे में पढ़ें और प्राकृतिक समाधान अपनाएँ। आजकल महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें सबसे आम हैं – पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disease) और पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome)।
अक्सर लोग इन दोनों को एक ही मान लेते हैं, लेकिन वास्तव में यह दोनों अलग-अलग समस्याएं हैं। पीसीओडी और पीसीओएस का समय पर सही निदान और उपचार न होने पर यह प्रजनन क्षमता, मानसिक स्वास्थ्य और संपूर्ण जीवनशैली को प्रभावित करता है। आयुर्वेद में इसका गहराई से उल्लेख मिलता है और प्राकृतिक उपचार के माध्यम से इनका सफल किया जा सकता है।
पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disease) क्या है?
पीसीओडी एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिला की अंडाशय (ovaries) सामान्य से बड़े हो जाते हैं और इनमें छोटे-छोटे सिस्ट (cysts) बनने लगते हैं। इस कारण अंडाणु (eggs) पूरी तरह परिपक्व नहीं हो पाते है और मासिक धर्म चक्र अनियमित हो जाता है।

पीसीओडी के लक्षण
- मासिक धर्म का अनियमित होना।
- वजन बढ़ना, विशेषकर पेट के आस-पास में।
- चेहरे और शरीर पर अत्यधिक बाल का आना (Hirsutism)
- चेहरे पर पिंपल्स और तैलीय त्वचा का आना।
- बाल झड़ना या गंजापन का होना।
- थकान और मूड स्विंग्स होना।
पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) क्या है?
पीसीओएस एक मेटाबोलिक और हार्मोनल विकार होता है। इसमें सिर्फ अंडाशय ही नहीं बल्कि पूरा शरीर प्रभावित होता है। इस स्थिति में हार्मोनल असंतुलन (विशेषकर इंसुलिन और एंड्रोजन) के कारण कई गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं।

पीसीओएस के लक्षण
- मासिक धर्म का लंबे समय तक न आना या मासिक धर्म का बहुत कम आना।
- गर्भधारण में कठिनाई (Infertility) का होना।
- इंसुलिन रेजिस्टेंस और डायबिटीज़ का खतरा होना।
- मोटापा और वजन नियंत्रित करने में कठिनाई होना।
- उच्च रक्तचाप और हृदय रोग का जोखिम होना।
- अत्यधिक तनाव, चिंता और अवसाद का आना।
पीसीओडी और पीसीओएस में अंतर(Difference between PCOD and PCOS)
पहलू | PCOD | PCOS |
प्रकृति | रोग (Disease) | सिंड्रोम (Syndrome) |
प्रभाव क्षेत्र | केवल अंडाशय प्रभावित | पूरा शरीर प्रभावित |
गंभीरता | कम गंभीर, जीवनशैली बदलने से नियंत्रित | अधिक गंभीर, जटिलताएँ पैदा कर सकता है |
गर्भधारण | गर्भधारण संभव लेकिन कठिन | गर्भधारण की संभावना और भी कम |
मुख्य कारण | हार्मोनल असंतुलन और खराब जीवनशैली | इंसुलिन रेजिस्टेंस, एंड्रोजन की अधिकता और मेटाबोलिक समस्याएँ |
पीसीओडी और पीसीओएस के होने का आयुर्वेदिक कारण
आयुर्वेद के अनुसार, असंतुलित आहार-विहार और विशेषकर कफ और वात दोषों की वृद्धि होने पर यह समस्या होती है। PCOD and PCOS में अंतर और आयुर्वेदिक इलाज में जानेंगे कि इसके होने का आयुर्वेदिक कारण क्या होते है –
- अधिक तैलीय, मसालेदार, जंक फूड का सेवन करने से।
- नींद का अभाव या अनियमित नींद लेना।
- मानसिक तनाव और मानसिक अशांति होने पर।
- शारीरिक परिश्रम की कमी के कारण।
- ये सभी कारण शरीर में अग्नि (पाचन शक्ति) को कमजोर करते हैं और आम (toxins) का निर्माण करते हैं, जिससे अंडाशय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।
पीसीओडी और पीसीओएस का आयुर्वेदिक इलाज
PCOD and PCOS में अंतर और आयुर्वेदिक इलाज में जानेंगे कि इसका आयुर्वेदिक इलाज क्या होता है –
1. जीवनशैली (Lifestyle)
- प्रतिदिन नियमित समय से योग और प्राणायाम करें (अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी)।
- प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करें, खासकर वॉकिंग और सूर्य नमस्कार।
- रात को समय पर सोएं और पर्याप्त नींद लें।
- तनाव कम करने के लिए ध्यान (Meditation) और सकारात्मक सोच अपनाएँ।
2. आहार (Diet)

- हरी सब्ज़ियाँ, अंकुरित अनाज और सलाद को भोजन में शामिल करें।
- ताजे फल जैसे अमरूद, सेब, पपीता, अनार का सेवन करें।
- जीरा, मेथी, हल्दी, दालचीनी और त्रिफला का सेवन लाभकारी होता है।
- तैलीय, फास्ट फूड, मीठा और सोडा ड्रिंक्स से परहेज करें।
3. आयुर्वेदिक औषधियाँ (Herbal Remedies)
PCOD and PCOS में अंतर और आयुर्वेदिक इलाज में आयुर्वेदिक औषधियाँ बहुत ही लाभकारी होती है। जैसे :
- त्रिफला – ये शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है।
- मेथी के बीज – यह इंसुलिन रेजिस्टेंस कम करने में मददगार।
- शतावरी – यह हार्मोनल संतुलन और प्रजनन स्वास्थ्य के लिए उत्तम होती है।
- अशोक घृत – मासिक धर्म को नियमित करने में सहायक होती है।
- लोध्र – यह गर्भाशय को मजबूत करती है।
- गुडुची (गिलोय) – यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और सूजन कम करती है।
4. घरेलू नुस्खे
PCOD and PCOS में अंतर और आयुर्वेदिक इलाज में जानेंगे कि इसको सही करने के लिए घरेलू इलाज क्या होता है –

- दालचीनी पाउडर का सेवन करें, यह इंसुलिन लेवल को नियंत्रित करता है।
- सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर पिएं।
- एक चम्मच अलसी बीज (Flax seeds) का सेवन हार्मोनल संतुलन में मदद करता है।
- तुलसी के पत्तों का सेवन कफ दोष कम करता है और हार्मोनल असंतुलन को सुधारता है।
योग और प्राणायाम
PCOD and PCOS में अंतर और आयुर्वेदिक इलाज के लेख में हम जानेंगे कि इसको सही करने के लिए योग और प्राणायाम कौन – कौन से होते है –

- सूर्य नमस्कार – यह हार्मोन संतुलन और वजन नियंत्रण में सहायक होता है।
- भुजंगासन – यह गर्भाशय और अंडाशय के लिए लाभकारी होता है।
- उष्ट्रासन – यह रक्तसंचार को बेहतर करता है।
- कपालभाति व प्राणायाम – पेट की चर्बी घटाने और हार्मोन संतुलन के लिए अधिक लाभकारी होता है।

निष्कर्ष :
PCOD और PCOS दोनों ही हार्मोनल और जीवनशैली से जुड़े विकार हैं। हालांकि दोनों में अंतर है, लेकिन समय पर पहचान और उपचार से इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। आयुर्वेद में आहार, योग, प्राणायाम और औषधियों के माध्यम से बिना किसी साइड इफेक्ट के इनका दीर्घकालिक समाधान संभव है। यदि आप प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका अपनाना चाहते हैं तो आयुर्वेद को जीवनशैली का हिस्सा बनाइए।
डिस्क्लेमर: हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह अवश्य लें।
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